मेरी अनकही कविता ....
Poems about life,love,struggle
Thursday, September 8, 2022
सहूर
कल तक जो हमसे जीने का इल्म पढ़ा करते थे वो आज हम जीने का सहूर सिखIते हैं
घर
घर मेरा यू ही तो ना जला होगा .... किसी मेरे अपने ने ही घर का चूल्हा जला के छोड़I होगा...
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