Saturday, June 21, 2014

Mere desh

मेरे देश तुझे क्या अर्पण करू
मै तो इस लायक भी नहीं 
कि  ये कह दू की ये साँसे 
तुझे अर्पित है 
कि  ये मेरा तन ये मेरा मन 
तुझे अर्पित है। … 
मेरे देश तुझे क्या अर्पण करू
मै तो इस लायक भी नहीं। … 

कि  जो चीज तेरी ही है 
तूने ही दी है हमें 
तो उसको तुझे ही कैसे करू अर्पण
की मेरा ये जीवन 
मेरा मरण सब  कुछ  तो पहले 
से ही तेरा है 
तो तेरी ही चीज
 कैसे तुझे अर्पण करू। । 

एक ही कामना है 
एक ही प्रार्थना है। 
विश्व में तू सर्वश्रेष्ठ  रहे 
ना रहे 
शक्तिमान बने 
ना बने 
पर वसुधैव कुटंबकम की 
लाज सदा रखे 
विश्व को धर्म का ज्ञान 
मानवता के सम्मान 
की शिक्षा सदा देता रहे। .... 

अन्धकार से प्रकाश 
बुराई से  अच्छाई 
और मृत्यु  से जीवन 
पर विजय का ज्ञान देता रहे। …। 

हे मेरे देश 
हे मेरे महान देश 
तेरा गौरव सदा बना रहे 
मुझे क्षमा  कर देना 
मेरी अकर्मण्यता पर 
मुझे क्षमा कर देना 
मेरी अकृतज्ञता पर। । 

तेरा आशीर्वाद सदा 
हम पर बना रहे 

हर जनम में बस 
तू ही मुझे मिले 

हे मेरे देश 
हे मेरे महान देश 
तेरा गौरव सदा बना रहे 



Parwana

Guzare chahe jo bhi
Mai ya, ye waqt
Par jo nahi guzarta hai..
wo hai ye pyaar...
mai koi hakim nahi
Jo is marj ki dawa bata doon
na hi koi haakim
Ki jo chaoon wo ho jaye
mai to bus ek parwana hoo
jo shamma ki yaad me
jalta hain.....
Jalne ka koi shauk nahi
hota parwane ko
Ye to dewangi hai uski
ki Wo jale jata hai.....
gar poochna hai to poocho
us shama se
Ki kyoun jalati hai
wo apne parwane ko ......