Saturday, April 4, 2015

सन्नाटा

सन्नाटा घोर  सन्नाटा … 
हृदय को विदीर्ण कर देने वाला सन्नाटा। …… 

शिव के  डमरु का नाद। .... कृष्णा की बाँसुरी का संगीत 
या फिर सरस्वती की वीणा का स्वर…

जैसे सारे शब्दों का  गुंजार शून्य  में समाहित हो गया हॊ…

जीवन का प्रकाश मृत्यु के स्याह   रँग  में डूब चूका हो। … 
 और उस पर आत्मा का वो अंतिम प्रकाश पुंज
 जो  हर अँधेरे में राह दिखाता था 
स्वयं ही कही लुप्त हो चुका  है। .... 
फिर अब  किससे आशा। … 
किससे उम्मीद .... 

mere sapne


मेरे सपनो  ने अपने लिये शायद
कोई और  ठिकाना ढूंढ लिया। … 
उन्हें  अब  मेरे आँखों में 
रहना  पसंद नहीं। … 
शायद तभी कोई सपना टिकता ही नहीं 
कही और चला जाता है। …… 

Mere dost...

आसमाँ में उड़ने के लिए
मैं  तैयार खड़ा हूँ …
बस तेरा इंतज़ार है
मेरे दोस्त। …
मेरी आँखे
तेरा ही रास्ता 
देख रही। …
आ भी जा अब।
और ना करा इन्तजार। ।
बिन तेरे मैं
कुछ नहि।
ना हो मुझसे नाराज
हमें जाना है
बहुत दूर। ।
माना मेरी चाल है
बहुत तेज
पर थक जाने पर
आज भी तेरे
काँधे की जरूरत है।
चल अब भी जा 
और ना सता
ना सताऊँगा तुझे
तेरा खाना भी नहीं खाऊँगा
चल आ भी जा.

अरे भाग अपने पीछे तो  देख
मुहल्ले की चाची खड़ी है
पकड़ने हमें की संतरे
तो हम दोनों ने ही चुराये है। ।
अबे भाग नहीं तो
फिर पिटूँगा तेरे चक्कर में
कितनी बार कहा है
न अ कर मुझे यूँ छोड़ कर
खुद भी पकड़ा जाता है
और मुझे भी मार खिलवाता है।

अबे सुन तेरी माँ कह रही थी
आज आलू के पराठे बनाये है उसने
तू इसलिए तो मुझसे कही
लड़ के तो नहीं बैठा है की
मुझे जो पता चला
तो छीन कर कही खा ना लू

अबे हठ  परांठे निकाल
बाकी तो बाद में देखेंगे
बहुत नाटक हुआ
साले तेरा
हर बात में रोता है।

बड़ी मशशकत करायी है तूने
तेरा हिस्से का भी अब मैं ही खाऊँगा। .

वो बोला
कितना कमीना है रे तु।
हर बात में सौदागिरी करता है।

जो मेरे लिए किसी से लड़ता है
तो मेरे खिलोने बदले में
ले जाता है।
नयी साईकिल ले आया
तो उसे छीन कर खुद ही
चलता है। जो कीचड में
फँस जाये तो
बोलता है साले
दोस्ति में इतना
तो चलता है…

कितना कमीना  है…

क्लास में मेरी कॉपी को अपना
बताकर मुझे मार डाट खिलाता है। 
तुझे हँसता हुआ देखकर
जब टीचर तुझे बहार निकालती
ये भी था इसमें शामिल
मुझे भी बाहर  करवा देता है।

कितना कमीना है…
फिर भी कहता है
तू  दोस्त है मेरा। . ।

पहले मैं  अव्वल था
पढाई में
आज कल हर गली
नुक्कड़ में गिल्ली डंडे का
बादशाह हूँ मै।
कंचे और पतंगबाजी का
सरताज हूँ मै।

माँ कहती है
जब से तेरा साथ हुआ है
मैं बिगड़ गया हूँ। …

तू ही बता कैसे
चलू  मैं तेरे साथ…                 क्रमशः