Wednesday, September 24, 2008

Mera aashiyana

आशियाना ढूँढने  निकला हूँ
बेरंग सी जिंदगी में
रंग भरने निकला हू। .

अकेला हूँ सफर में
हमसफ़र ढूँढने  निकला हूँ।

आशियाना ढूँढने  निकला हूँ
बेरंग सी जिंदगी में
रंग भरने निकला हू। .

ख़ुशी हो या गम
लोगो में मुस्कुराहट बाटने निकला हूँ

दूसरो के गम पर आँसू बहाने निकला हूँ
सब में प्यार बाटने निकला हूँ
दिलो से दुश्मनी
मिटाने निकला हूँ
आशियाना ढूँढने  निकला हूँ
बेरंग सी जिंदगी में
रंग भरने निकला हू। .

जिधर देखता हूँ
अपने ही मिलते है
हर आशियाना अपना ही लगता है

प्यार की इस दुनिया में
नफरत का बीज
क्यों बोते है लोग

ये नफरत मिटने निकला हूँ
आशियाना ढूँढने  निकला हूँ
बेरंग सी जिंदगी में
रंग भरने निकला हू।
सब में प्यार बाटने निकला हूँ
दिलो से दुश्मनी
मिटाने निकला हूँ
ये लोगो को समझाने निकला हूँ

No comments: