रात कही खो गयी
सपनो की नींद सो गयी
दिन के उजालो ने जो गम दिए
सपनो की हसीं दुनिया ने
उस पे मरहम लगा दिए
मिलने की जुस्तजू जो कभी हक़ीक़त न हुई
ख्वाबो की दुनिया ने उससे भी मिला दिया
वक़्त के हर गम को मिटा दिया
मोहबत का मरहम लगा दिया
जो हक़ीक़त में कभी ना मेरा हो पाया
ख्वाबो में उसे हक़ीकत बना दिया
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