Saturday, April 4, 2015

सन्नाटा

सन्नाटा घोर  सन्नाटा … 
हृदय को विदीर्ण कर देने वाला सन्नाटा। …… 

शिव के  डमरु का नाद। .... कृष्णा की बाँसुरी का संगीत 
या फिर सरस्वती की वीणा का स्वर…

जैसे सारे शब्दों का  गुंजार शून्य  में समाहित हो गया हॊ…

जीवन का प्रकाश मृत्यु के स्याह   रँग  में डूब चूका हो। … 
 और उस पर आत्मा का वो अंतिम प्रकाश पुंज
 जो  हर अँधेरे में राह दिखाता था 
स्वयं ही कही लुप्त हो चुका  है। .... 
फिर अब  किससे आशा। … 
किससे उम्मीद .... 

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