Saturday, July 18, 2015

Ab to aa jaa...

ये खुली जुल्फे ।
ये रास्ता तकते मेरे नयन…
कब से खड़ी हूँ इंतज़ार में। …
की अब तो आ जा साजन। ।

जल रही हूँ तेरे बिरहन में। ।
अब तो आ जा सजन। ।
पिछले बरस की फागुन में। …
मुझको अकेला छोड़ गया था। …
की सावन में आऊँगा। …
पिछला सावन बीता। ।
बीत गया फागुन भी। ।
तू ना आया। ।
की सावन फिर आने को है…
आंखिया तरसती है
जैसे प्यासी धरती
मोरा मनवा जलता है।
जैसे जेठ की दुपहरिया ।
सूख गए नयन मेरे बिन दरसन। ।
जैसे सूखे नदिया तालाब। ।
बिन मेघां के।
के अब तो आ जा। ।
दरस दिखा जा।
की सावन आने वाला है।
बिन तेरे किस काम के।
ये मेरे कजरारे नयन। ।
ये चंचल चित्वन।
ये मेरा मदमाता यौवन। ।
ये अधरों की लाली।
ये चाल मेरी मतवाली।
बिन तेरे किस काम के।
बिन तेरे जीवन मेरा। .
जैसे जल बिन मीन। .
अब ना तरसा। ।
दरस दिखा जा।
मेरे सूखे तपते जीवन में। ।
प्रेम का अमृत बरसा जा।
कब से खड़ी हूँ इंतज़ार में। …
की अब तो आ जा साजन। ।
अब तो आ जा.
अब तो आ जा.

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