वक़्त तेरी शाख पर
पत्ते तो कई है
रंग सबके अनेक
कोई बेढंगा कोई बेमेल
कोई सुन्दर सुडोल
पत्ते तो कई है
रंग सबके अनेक
कोई बेढंगा कोई बेमेल
कोई सुन्दर सुडोल
दुनिया में लोग भी अनेक
सबकी अपनी ख्वाइश
अपने ही सपने
किसी को चैहिये
सुख का सागर
तो कोई दुःख के भवर
में ही चाहता है रहना
पर तेरी भी अजीब रीत है।
जिसे जो चाहिए वो
उसके नसीब में आता नही
जो चाहे कोई
तोडना पत्ते सुख के
तेरी डॉल से
तो उसे मिलता नहीं
कोई यू ही बैठा
रहे तो कहो
सबसे सुन्दर पत्ता
तेरी शाख खुद ही
उसकी झोली में
गिरा दे
क्या नियम है तेरा
दशक बीत गए
लगता है अब सादिया बीत जाएँगी
पर तेरा ये नियम
न समझ आएगा। .
क्यों हर किसी को
तेरे आगे गिड़गिड़ाना पड़ता है
तेरे दर पे घुटने टेकने
पढ़ते है। .
हां मै जानता हूँ
उसे भी जो तेरे
आगे नहीं टेकता घुटने
जिसके आगे तू
खड़ा रहता है
हाथ बांधे
मै भगवान की
नहीं करता बात
उस इंसान की
बात है जिसने
झुका रखा है
तुझे अपने आगे। ।
मै जानता हूँ
उसे हां मै जानता हूँ
बस सोचता हूँ
की फ़ायदा क्या
अगर उसने तुझे
झुका भी दिया तो। ।
सबकी अपनी ख्वाइश
अपने ही सपने
किसी को चैहिये
सुख का सागर
तो कोई दुःख के भवर
में ही चाहता है रहना
पर तेरी भी अजीब रीत है।
जिसे जो चाहिए वो
उसके नसीब में आता नही
जो चाहे कोई
तोडना पत्ते सुख के
तेरी डॉल से
तो उसे मिलता नहीं
कोई यू ही बैठा
रहे तो कहो
सबसे सुन्दर पत्ता
तेरी शाख खुद ही
उसकी झोली में
गिरा दे
क्या नियम है तेरा
दशक बीत गए
लगता है अब सादिया बीत जाएँगी
पर तेरा ये नियम
न समझ आएगा। .
क्यों हर किसी को
तेरे आगे गिड़गिड़ाना पड़ता है
तेरे दर पे घुटने टेकने
पढ़ते है। .
हां मै जानता हूँ
उसे भी जो तेरे
आगे नहीं टेकता घुटने
जिसके आगे तू
खड़ा रहता है
हाथ बांधे
मै भगवान की
नहीं करता बात
उस इंसान की
बात है जिसने
झुका रखा है
तुझे अपने आगे। ।
मै जानता हूँ
उसे हां मै जानता हूँ
बस सोचता हूँ
की फ़ायदा क्या
अगर उसने तुझे
झुका भी दिया तो। ।
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