Monday, November 28, 2022

अलहदा हूँ अलमस्त हूँ

अलहदा हूँ अलमस्त हूँ काफिर ऐ जहाँ हूँ यायावर हूँ मेरे दोस्तों .... जो है यहाँ सब कुछ उनके लिए कुछ भी नहीं जो कुछ नहीं उनके लिए सारा जहाँ हूँ ना मै कुछ हूँ ना मै कुछ होना चाहू मै तो बस यु ही खुद में रहना चाहू ना चाहू दुनिया की सौगाते ना सोचु दुनिया की बाते जो कल तक थे इतराते आज उनके निशाँ नहीं खुद की मस्ती है खुद का ही जहाँ बस मै ही मै हूँ समझो तो इबादत न समझो तो कुफ्र मै तो बस मै हूँ अलहदा हूँ अलमस्त हूँ काफिर ऐ जहाँ हूँ

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