Monday, June 16, 2008

दो पाथेय मुझे

दो पाथेय मुझे या कर दो शांत मुझे
नहीं बैठ सकता हूँ
होकर कर्म विहीन

चाहता हूँ सत्य के पथ पर
अग्रसर रहना
निरंतर बनके सत्यान्वेषी
उस परम सत्य को समझना

दो पाथेय मुझे
या कर दो शांत मुझे

हूँ मै  सुर-जा पुत्र
नहीं कर सकता असुरता का कर्म
इन राग द्वेष से दूर
चाहता हूँ प्रेम के पथ पर
आगे बढ़ना

दो पाथेय मुझे
या कर दो शांत मुझे। ....













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