aaj phir chalte chalte raaste me jindagi mujhse takra gayi....
palat ke jab dekha maine usko... kahne lagi ab kyu gumsuda hai tu...
jab bhi milta hai... jaane kin khayaloo me uljha rahata hai....
mujhe ab bhi yaad hai teri wo aakhri mulakat
teri wo fariyaad... tune hi kaha tha naa bus aakhri baar poori kar de meri muraad.. nahi to ho jaounga mai barbaad....
maine tab bhi tujhse kaha tha... ki kuch nahi badlega...
tu jab bhi milega bus yun hi jindagi ke taane baane me uljha sa rahega...
aaj phir jab mila to wahi shikan hai wahi aarjoo hai ...
ye duniyavi masle hai... in me naa ulajh jo jaise chal raha hai use waise hi chalne de...
jara soch tere chahne aur karne se jo kuch hota ..... to tu aaj yu na uljha uljha rahta...
वक़्त तेरी शाख पर पत्ते तो कई है रंग सबके अनेक कोई बेढंगा कोई बेमेल कोई सुन्दर सुडोल
दुनिया में लोग भी अनेक सबकी अपनी ख्वाइश अपने ही सपने
किसी को चैहिये सुख का सागर तो कोई दुःख के भवर में ही चाहता है रहना
पर तेरी भी अजीब रीत है। जिसे जो चाहिए वो उसके नसीब में आता नही जो चाहे कोई तोडना पत्ते सुख के तेरी डॉल से तो उसे मिलता नहीं कोई यू ही बैठा रहे तो कहो सबसे सुन्दर पत्ता तेरी शाख खुद ही उसकी झोली में गिरा दे
क्या नियम है तेरा दशक बीत गए लगता है अब सादिया बीत जाएँगी पर तेरा ये नियम न समझ आएगा। .
क्यों हर किसी को तेरे आगे गिड़गिड़ाना पड़ता है तेरे दर पे घुटने टेकने पढ़ते है। .
हां मै जानता हूँ उसे भी जो तेरे आगे नहीं टेकता घुटने जिसके आगे तू खड़ा रहता है हाथ बांधे
मै भगवान की नहीं करता बात उस इंसान की बात है जिसने झुका रखा है तुझे अपने आगे। ।
मै जानता हूँ उसे हां मै जानता हूँ बस सोचता हूँ की फ़ायदा क्या अगर उसने तुझे झुका भी दिया तो। ।
ये खुली जुल्फे । ये रास्ता तकते मेरे नयन… कब से खड़ी हूँ इंतज़ार में। … की अब तो आ जा साजन। ।
जल रही हूँ तेरे बिरहन में। । अब तो आ जा सजन। । पिछले बरस की फागुन में। … मुझको अकेला छोड़ गया था। … की सावन में आऊँगा। … पिछला सावन बीता। । बीत गया फागुन भी। । तू ना आया। । की सावन फिर आने को है… आंखिया तरसती है जैसे प्यासी धरती
मोरा मनवा जलता है। जैसे जेठ की दुपहरिया ।
सूख गए नयन मेरे बिन दरसन। । जैसे सूखे नदिया तालाब। । बिन मेघां के। के अब तो आ जा। । दरस दिखा जा।
की सावन आने वाला है। बिन तेरे किस काम के। ये मेरे कजरारे नयन। । ये चंचल चित्वन।
ये मेरा मदमाता यौवन। । ये अधरों की लाली। ये चाल मेरी मतवाली। बिन तेरे किस काम के।
बिन तेरे जीवन मेरा। . जैसे जल बिन मीन। .
अब ना तरसा। । दरस दिखा जा।
मेरे सूखे तपते जीवन में। । प्रेम का अमृत बरसा जा।
कब से खड़ी हूँ इंतज़ार में। … की अब तो आ जा साजन। ।
अब तो आ जा. अब तो आ जा.
आसमाँ में उड़ने के लिए
मैं तैयार खड़ा हूँ …
बस तेरा इंतज़ार है
मेरे दोस्त। …
मेरी आँखे
तेरा ही रास्ता
देख रही। …
आ भी जा अब।
और ना करा इन्तजार। ।
बिन तेरे मैं
कुछ नहि।
ना हो मुझसे नाराज
हमें जाना है
बहुत दूर। ।
माना मेरी चाल है
बहुत तेज
पर थक जाने पर
आज भी तेरे
काँधे की जरूरत है।
चल अब भी जा
और ना सता
ना सताऊँगा तुझे
तेरा खाना भी नहीं खाऊँगा
चल आ भी जा.
अरे भाग अपने पीछे तो देख
मुहल्ले की चाची खड़ी है
पकड़ने हमें की संतरे
तो हम दोनों ने ही चुराये है। ।
अबे भाग नहीं तो
फिर पिटूँगा तेरे चक्कर में
कितनी बार कहा है
न अ कर मुझे यूँ छोड़ कर
खुद भी पकड़ा जाता है
और मुझे भी मार खिलवाता है।
अबे सुन तेरी माँ कह रही थी
आज आलू के पराठे बनाये है उसने
तू इसलिए तो मुझसे कही
लड़ के तो नहीं बैठा है की
मुझे जो पता चला
तो छीन कर कही खा ना लू
अबे हठ परांठे निकाल
बाकी तो बाद में देखेंगे
बहुत नाटक हुआ
साले तेरा
हर बात में रोता है।
बड़ी मशशकत करायी है तूने
तेरा हिस्से का भी अब मैं ही खाऊँगा। .
वो बोला
कितना कमीना है रे तु।
हर बात में सौदागिरी करता है।
जो मेरे लिए किसी से लड़ता है
तो मेरे खिलोने बदले में
ले जाता है।
नयी साईकिल ले आया
तो उसे छीन कर खुद ही
चलता है। जो कीचड में
फँस जाये तो
बोलता है साले
दोस्ति में इतना
तो चलता है…
कितना कमीना है…
क्लास में मेरी कॉपी को अपना
बताकर मुझे मार डाट खिलाता है।
तुझे हँसता हुआ देखकर
जब टीचर तुझे बहार निकालती
ये भी था इसमें शामिल
मुझे भी बाहर करवा देता है।
कितना कमीना है…
फिर भी कहता है
तू दोस्त है मेरा। . ।
पहले मैं अव्वल था
पढाई में
आज कल हर गली
नुक्कड़ में गिल्ली डंडे का
बादशाह हूँ मै।
कंचे और पतंगबाजी का
सरताज हूँ मै।
माँ कहती है
जब से तेरा साथ हुआ है
मैं बिगड़ गया हूँ। …