Monday, December 26, 2022

रात कही खो गयी

रात कही खो गयी सपनो की नींद सो गयी दिन के उजालो ने जो गम दिए सपनो की हसीं दुनिया ने उस पे मरहम लगा दिए मिलने की जुस्तजू जो कभी हक़ीक़त न हुई ख्वाबो की दुनिया ने उससे भी मिला दिया वक़्त के हर गम को मिटा दिया मोहबत का मरहम लगा दिया जो हक़ीक़त में कभी ना मेरा हो पाया ख्वाबो में उसे हक़ीकत बना दिया

Tuesday, December 6, 2022

Book

I am from Lucknow, currently living in Noida.By profession, I am working in IT industry past 15 years.Currently working as Group Project Manager in one of leading MNC. I love to write poems, technical blogs.My hobbies are reading and travelling. I have travelled more than 7 countries(US, UK, France etc.) and more than 26 states in india... Apart from this, I coach people for leadership, carrer and Emotional level. About the Book I was not a professional writer, when I was young, wrote one poem.People loved that one and suggested me to write more. Most of the poems which i wrote based on my life events or the society challenges.I just want to thank my wife who pushed me to publish this book. This book brings out many shades of human life struggle, love, compassion etc.

Tuesday, November 29, 2022

तू खुदा है, कोई नखुदा तो नहीं

वकार को तेरे ये जेब नहीं देता तू खुदा है, कोई नखुदा तो नहीं

पिता बस पिता ही नहीं होता

कभी कभी जज्बातों की आंधी इतनी तेज होती है कि जिंदगी के पन्ने उड़ जाते हैं... लिखने की कुछ कोशिश तो करता हूं पर आंसुओं से इबारत बिगड़ सी जाति है... हर बार कुछ लिखना चाहता हूं पिता पे बस याद धुंधला सी जाती है.... स्वास्थ्य बहुत है गफलाते बहुत है पर जब लिखने बैठा हूँ तो उनके आंखों की खामोशी सी सामने आ जाती है टूटा तो बहुत हूं रूठा तो बहुत हूं पर हर बार जब भी उनकी याद आती है आंख मेरी नाम सी हो जाती है... लोगो ने बहुत लिखा माँ पर पिता अछूता सा रह गया अब भी जब गुस्साता हूँ कोई उलाहना सा देता हूँ अक्सर कहते है ये दुनिया जगल सी है ये प्यार से नहीं चलती यहाँ लड़ना पड़ता है कर्तव्यों की आग में हर दम जलना पड़ता है उम्र के इस पड़ाव पर अब तो अक्सर वो कहते है अब तुम भी एक बाप हूँ समझ जाओगे पिता सिर्फ पिता ही नहीं होता जीवन को आधार देने वाला कुम्हार होता है जिसकी थपकी तुम्हे मजबूत बनाती है संघर्षो से लड़ने के लिए पिता बस पिता ही नहीं होता माँ जिस मंदिर की मूरत है पिता उस मंदिर की नीव का पथर होता है पिता बस पिता ही नहीं होता

Monday, November 28, 2022

लहरो की आवाज़

लहरो की आवाज़ को अक्सर लोगो ने सागर का शोर समझा है सागर की गहरई में छिपे सन्नाटे को कहा किसी ने जाना है अक्सर चुप चाप रह के पीठ में खंजर मIरने वालों को देवता मान के लोगो ने पूजा है बया कर दे जो भी अपने दिल की बात अक्सर लोगो ने उसे ही विद्रोही समझा है... कहा तक किसे समझाए कि सच का कोई ठेकेदार नहीं होता सच को बया करने वाला का खुदा के सिवा कोई निगे-बान नहीं होता... लहरो की आवाज़ को अक्सर लोगो ने सागर का शोर समझा है

अनकही बाते

"जीतना है तो जीत लो इस दुनिया को वरना दुनिया में ाहजारो चेहरे है उनमे से एक चेहरा तुम्हारा भी होगा जो रात के अंधेरो में कही खो जायेगा " जीवन की घटनाओ को काव्यात्मक गति देने का प्रयास है - "अनकही बाते " हर किसी के जीवन में अनवरत कुछ नया घटित होता रहता है मैंने " अनकही बाते" के माध्यम से जीवन के हर मोड़ पर घटने वाली घटनाओ को काव्य शैली के माध्यम से प्रस्तुत करने की कोशिश की है.. "अनकही बाते " मेरा एक ऐसा प्रयास है जो मुक्तक छंद में आपको जीवन के प्रेम उससे उपजी पीड़ा और जीवन की मुक्ति का अहसास करायेगा ...

अलहदा हूँ अलमस्त हूँ

अलहदा हूँ अलमस्त हूँ काफिर ऐ जहाँ हूँ यायावर हूँ मेरे दोस्तों .... जो है यहाँ सब कुछ उनके लिए कुछ भी नहीं जो कुछ नहीं उनके लिए सारा जहाँ हूँ ना मै कुछ हूँ ना मै कुछ होना चाहू मै तो बस यु ही खुद में रहना चाहू ना चाहू दुनिया की सौगाते ना सोचु दुनिया की बाते जो कल तक थे इतराते आज उनके निशाँ नहीं खुद की मस्ती है खुद का ही जहाँ बस मै ही मै हूँ समझो तो इबादत न समझो तो कुफ्र मै तो बस मै हूँ अलहदा हूँ अलमस्त हूँ काफिर ऐ जहाँ हूँ

Sunday, October 2, 2022

draft

prem ki reet bhi anokhi hoti hai... Yaha roshni bhi dil ke jalne par hoti hai... itna mat uljoo muhse.... ki suljhana muskil ho jaye.. ye tumhari latte nahi hai.. meri jindagi hai... aajkal khoye hue hai hum ishq ki bhehosi me... katra -katra dooba hui uske aankho ki madhoshi me... Koi chal gaya koi jane ki taiyari me hai... Yun lag raha ki ye mera dil nahi sarai hai Wo jo jheel thi naa... jaha aksar hawao ka rukh ... tere aane ke baad teh ho jaata tha... teri ye suljhi aur sawari late bigad si jaati thi... Aaj barso baad waha gaya tha mai... Teri khusbo abhi bhi yaha ki fizao me hai Wo jo kinaaro pe ham baitha karte the... waha pe tere pairo ki nisaan abhi bhi hai... Aisa lagta hai jaise barso se koi yaha naa aya hoo... Bus kuch dhool se jama ho gayi hai Yu hi akele baitha tha Socha kyu na barso se padi is waqt ki dhool ko Tere yaado ke sahare hata doo Tera yu hi mere kandhe pe Sir rakh ke so jaana... Aur kisi jaha me chale jaana Aaj barso baad waha gaya tha mai Un tej hawao ne bus itna poocha... Itne barso baad aaye hoo. Wo bhi akele...apni jindagi kai aur chod aaye ho. तेरे ख्यालो में हम आज भी जी लेते हैं...वर्ना जिंदा तो रहना हमने कब का ही छोड़ दिया.... swapno ki nit sej saja mand-mand muskata hoon... adhron par jeevan ka geet liya karmpath par pag-pag badhta jata hoon... jeevan garal ka pyala hotho se laga harshit hota jata hoon... antarman ke amrit ko sab par megh ban barsata hoon... jeevan ka swagat karta hoon mrityu ka abhinandan nahi kasht kisi me har pal ye man ko samjata hoon... chakra ye vidhi ka hai rach di vidhan ne ye srishti... jo yaha pe aaya hai usko jeevan-sangrash hai karna ab chahe phoolo ki sej saje ya karm path par bikhre hoo kaate... main to adhron pejeevan ka geet liya mrityu se aalingan ko aage badhta jata hoon... swapno ki nit sej saja mand-mand muskata hoon. nazar -nazar ki baat hai nazar -nazar ki baat hai kabhi same -baraat hai to kabhi gamo ki raat hai kahi mahekta hua baag hai to kahi patjhado ka saath hai nazar -nazar ki baat hai har din ho milan aisa jaroori to nahi ishk me mahboob saath ho aisa jaroori to nahi ehsas-e -mohabat hi kabhi kafi hai ta umra bitane ke liya nazar -nazar ki baat hai kabhi koi saath hokar apna nahi hota kabhi kise ke na hone ka ehsas zindage bahr saath hota hai ishk ye nahi ki har pal wo saath ho ishq ye hai ki ehsaas-e-mohabat har pal ho har koi itna khusnasib to nahi ki har pal dedar -e- mohabbat ho nazar -nazar ki baat hai kabhi same -baraat hai to kabhi gamo ki raat hai

Thursday, September 8, 2022

सहूर

कल तक जो हमसे जीने का इल्म पढ़ा करते थे वो आज हम जीने का सहूर सिखIते हैं

घर

घर मेरा यू ही तो ना जला होगा .... किसी मेरे अपने ने ही घर का चूल्हा जला के छोड़I होगा...

Thursday, August 11, 2022

मुशायरा

सुना है आजकल वो लोगो का मुशायरो में दिल लूट लेते हैं जो कल तक मेरे घर में असारो की जिल्द सही किया करते थे..

Thursday, July 21, 2022

तेरे ख्यालो में

तेरे ख्यालो में हम आज भी जी लेते हैं...वर्ना जिंदा तो रहना हमने कब का ही छोड़ दिया....

Wednesday, July 20, 2022

वक्त की क्या बात करू

वक्त की क्या बात करू यायावर वही मख़्लूक़ है वही महफ़िल जो कभी झुक कर करते थे शान मे सलाम आज सरे आम हया को बेपर्दा करते हैं...

Wednesday, June 8, 2022

Qahat

kaise ajab se udaasi hai.... lagta hai jaise koi Qahat ho...

Sunday, February 27, 2022

खुदा

वकार को तेरे ये जैबा नहीं देता तू खुदा है, कोई नखुदा तो नहीं